घर बैठे यूरिक एसिड के स्तर को करे कंट्रोल, डेली रूटीन में करे इन योगासनों को शामिल।

घर बैठे यूरिक एसिड के स्तर को करे कंट्रोल, डेली रूटीन में करे इन योगासनों को शामिल।

Introduction

यूरिक एसिड का बढ़ना पथरी बनने का भी एक कारण हो सकता है। यूरिक एसिड की अधिक एंडोयेलियल नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी जरूरी तत्व को कम कर देता है। इस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा होता है। यूरिक एसिड शरीर में पाया जाने वाला ऐसा रसायन है जो पाचन के दौरान प्रोटीन के टूटने से बनता है।

शरीर में यदि यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाए तो यह ठीक तरह से फिल्टर नहीं हो पाता है जिस वजह से यह पेशाब के जरिए बाहर नहीं निकल पाता है और शरीर में ही गठिया व किडनी खराब होने जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। यूरिक एसिड का बढ़ना पथरी बनने का एक कारण हो सकता है। ऐसे मरीजों को अधिक चिंता नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि किडनी के ऊपर एक ग्रंथी होती है जो जलन, गुस्सा और डर जैसी भावनाओं को निर्मित करती है।

इस समय प्राणायाम योग करना चाहिए नियमित मॉर्निंग वॉक करने से भी यूरिक एसिड कम किया जा सकता है तो चलिए जानते हैं इसके लिए कौन से योग आसनों को करना चाहिए।

1. अर्ध उत्तानासन :

यह आसन सबसे आजान और सबसे उपयोगी आसनों में से एक है जिससे तोंद, जांघ और कई हिस्से की चर्बी घटती है।

विधि :

  • सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को हिप्स पर रख लें।
  • कमर को मोड़ते हुए आगे की ओर झुके।
  • कमर को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।
  • धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं।
  • अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़े।
  • आपके पैर एक दूसरे के समांतर रहेगा।
  • सिर को नीचे की तरफ झुकाए और टांगों के बीच से झांककर देखते रहे।

2. उष्ट्रासन :

इस आसन को भी निरंतर करने से शरीर से रक्त प्रवाह बढ़ता है और यह हमारे पेट संबंधी बीमारियों में भी कारगर है।

विधि :

  • सबसे पहले आप फर्श पर घुटने के बल लेट जाएं।
  • ध्यान रहे जांघो तथा पैरों को एक साथ रखें, पंजे पीछे की ओर हो तथा फर्श पर जमे हों।
  • अब आप खुद लो पर खड़े हो जाएं।
  • सांस लेते हुए पीछे की ओर झुके और दोनों हाथों से दोनों एड़ीयों को पकड़े।
  • धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे छोड़ें।

3. कपोतासन :

इसे कबूतर मुद्रा भी कहते हैं। इस आसन से जांघो, एड़ीयों, जोड़ों, सीने, गले पर दबाव पड़ता है जिससे आपकी बॉडी लचीली बनती है। यह यूरिक एसिड में लाभदायक साबित होता है।

विधि :

  • सबसे पहले पैरों को मोड़कर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • फिर घुटनों केवल शरीर को उठाएं इस बात का ध्यान रखें कि आपको पैरों के बल नहीं खड़ा होना है।
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को पैर के पंजे के पास यानी कमर के नीचे रखें।
  • अपनी हथेलियों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर मोड़ना शुरू करें।
  • अब सिर को जमीन पर टिका लें।
  • अब दोनों हाथों से एड़ियों को पकड़ ले।
  • आप इस अवस्था में कुछ मिनटों तक बने रहे।
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